कभी मेरे दमन को दागदार मत करना ,
बेवफाई करना मगर दिल तार - तार मत करना
बेवफाई करना मगर दिल तार - तार मत करना
सिमटना हो तो सिमट जाओ किसी की पलकों में ,
बिखर जाओगे फिर एतराज मत करना.
वो,मंजिल नहीं मुसाफ़िर है तेरी राहों का,
किसी मुसाफ़िर पर कभी एतबार मत करना,
बस एक शाम मेरे संग गुजरिये तो सही,
तब कहोगे की अबकी शाम ढलने की शाम मत रखना II
- डॉ . पंकज मिश्र
Wowww👌👌
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