Wednesday, August 22, 2018

वक़्त

वो भूले बिसरे लम्हें याद आएंगे
धुँधला ही मगर मेरा चेहरा नज़र आएगा ll

हम अश्क नहीं जो पलकों से गिर जाएं
हवा के झोंके की तरह फिर पलट आएँगे ll

अश्क आँखों में लेकर बैठोगे कहीं
चेहरे पर वहीं मुस्कान बनकर बिखर जाएंगे ll

वक़्त बे वक़्त तन्हा होकर जाओगे कभी
तब भी तेरी परछइयों में नज़र आएँगे ll

अश्क मत बहाना ये अनमोल होते हैं
मोती हैं टूट कर बिखर जाएंगे ll

                               - डॉ. पंकज मिश्रा