हो सकता है कि इस दुनिया कि भीड़ में,
हम भी खो जाएँ कहीं||
न रहे अगर इस जहाँ में तो,
सितारें बनकर झिलमिलाएंगे कहीं ||
चांदनी रात में हम भी देखेंगे तुम्हे,
जब बेचैन होकर तन्हा जाओगे कहीं ||
तेरी पलकें जब भी भीगेंगी कभी,
मेरी भी आँखों से बरसात होगी कहीं ||
उन रास्तों से हवा बनकर गुजर जाउंगा,
जिन रास्तों से तू निकलेगी कभी ||
क्योंकि मुझे भी डर है कि कोई काँटा,
इन पैरों में चुभ न जाएँ कहीं ||
डॉ. पंकज मिश्रा
हम भी खो जाएँ कहीं||
न रहे अगर इस जहाँ में तो,
सितारें बनकर झिलमिलाएंगे कहीं ||
चांदनी रात में हम भी देखेंगे तुम्हे,
जब बेचैन होकर तन्हा जाओगे कहीं ||
तेरी पलकें जब भी भीगेंगी कभी,
मेरी भी आँखों से बरसात होगी कहीं ||
उन रास्तों से हवा बनकर गुजर जाउंगा,
जिन रास्तों से तू निकलेगी कभी ||
क्योंकि मुझे भी डर है कि कोई काँटा,
इन पैरों में चुभ न जाएँ कहीं ||
डॉ. पंकज मिश्रा