Monday, July 8, 2013

मेरी दुआ

ज़िंदगी की धूप में जो अभी तक ज़ल रहे
या खुदा उनके सरों पर उम्र भर बादल रहे ||
क्या बतायें दूर जा कर भूल हमको जो गये
हम उन्ही की याद में उम्र भर पागल रहे ||
   



वो हूमें देकर गये सौगात आँसू की मगर
है दुआ,फिर भी उनकी आँख में काज़ल रहे ||
हम बहारों को भला भी देखते तो किस तरह
मेरे चारो ओर तो हरदम घने ज़ंगल रहे ||
वो गर्दिसो को भला भी झेलते तो किस तरह
जिनके सरों पर उमर भर रेशमीं आँचल रहे ||




- ड़ा. पंकज मिश्रा