''कथरी कमरी फेल होइ गई
अब अइसे न होइ गुजारा
चला गजोधर कौड़ा बारा ll
गुरगुर गुरगुर हड्डी कांपय
अंगुरी सुन्न मुन्न होइ जाय
थरथर थरथर सब तन डोले
कान क लवर झन्न होइ जाय
सनामन्न सब ताल इनारा
खेत डगर बगिया चौबारा
बबुरी छांटा छान उचारा ...
चला गजोधर कौड़ा बारा ll
बकुली होइ गइ आजी माई
बाबा डोलें लिहे रज़ाई
बचवा दुई दुई सुइटर साँटे
कनटोपे मे मुनिया काँपे
कौनों जतन काम ना आवे
ई जाड़ा से कौन बचावे
हम गरीब कय एक सहारा
चला गजोधर कौड़ा बारा ll
कूकुर पिलई पिलवा कांपय
बरधा पँड़िया गैया कांपय
कौवा सुग्गा बकुली पणकी
गुलकी नेउरा बिलरा कांपय
सीसम सुस्त नीम सुसुवानी
पीपर महुआ पानी पानी
राम एनहुं कय कष्ट नेवरा
चला गजोधर कौड़ा बारा ।।