Saturday, November 15, 2014

जब हमें ही रिश्ते निभाने हैं..


जब हमें ही रिश्ते निभाने हैं..


जब हमें ही रिश्ते निभाने हैं
रिश्तों को बिखरने से बचाने हैं !!

तो फिर जाने दो -२
नये लोगों को आने दो!!

अब तक वक़्त के साथ चलता रहा हूँ 
अब वक़्त से भी आगे निकल जाने दो!!

ठहरा रहा हूँ सदैव बंदिसों के साथ
अब बंदिसें तोड़ के बह जाने दो!!

अभी तक सुनता रहा हूँ दुनिया की
अब मेरे दिल की भी कुछ सुनाने दो!!

अभी तक परखा गया हूँ रिश्तों में 
अब मुझे भी रिश्तों को आज़माने दो !!

महसूस की है रिश्तों की ज़रूरत को सदैव 
वज़ूद मेरा भी है अपना, ये रिश्तों को बतलाने दो !!

कब कहा की मनाने से मानता नही कोई
पर थोड़ी देर के लिए ही रूठ  जाने दो !!


                                डा. पंकज