Sunday, December 20, 2020

कुछ न कुछ छूटना तो निश्चित है।

कुछ न कुछ छूटना तो निश्चित है।

अचानक से आज यूँ ही ख्याल आया कि ... 

अखबार पढ़ा तो प्राणायाम छूटा,
प्राणायाम किया तो अखबार छूटा,
दोनों किये तो नाश्ता छूटा,
सब जल्दी जल्दी निबटाये तो आनंद छूटा,
मतलब ...
कुछ न कुछ छूटना तो निश्चित है।

हेल्दी खाया तो स्वाद छूटा,
स्वाद का खाया तो हेल्थ छूटी,
दोनों किये तो ...
अब इस झंझट में कौन पड़े.
कुछ न कुछ छूटना तो निश्चित है।

मुहब्बत की तो शादी टूटी,
शादी की तो मुहब्बत छूटी,
दोनों किये तो वफा छूटी,
अब इस पचड़े में कौन पड़े,
मतलब ...
कुछ ना कुछ छूटना तो निश्चित है।

जो जल्दी की तो सामान छूट गया,
जो ना की तो ट्रेन छूट गयी,
जो दोनों ना छूटे तो,
विदाई के वक़्त गले मिलना छूट गया,
मतलब ...
कुछ ना कुछ छूटना तो  निश्चित है।

औरों का सोचा तो मन का छूटा,
मन का लिखा तो तिस्लिम टूटा,
खैर हमें क्या ..
कुछ न कुछ छूटना तो  निश्चित है

खुश हुए तो हँसाई छूटी,
दुःखी हुए तो रुलायी छूट गयी,
मतलब ...
कुछ ना कुछ छूटना तो  निश्चित है

इस छूटने में ही तो पाने की खुशी है,
जिसका कुछ नहीं छूटा वो इंसान नहीं मशीन है, इसलिये ... 
कुछ ना कुछ छूटना तो निश्चित है।

जी लो, जी भर कर, 
क्योंकि एक दिन,

ये जिन्दगी छूटना भी  निश्चित है।