इलाइची की महक ओढ़े, अदरक का श्रृंगार कर सजी थी.. केतली की दहलीज से निकल कर, ग्लास की डोली में बैठी थी.. इस भागते हुए वक़्त पर, कैसे लगाम लगाई जाए.. ऐ वक़्त आ बैठ, तुझे एक कप चाय पिलायी जाए..!!