कई ख्वाब आँखों में लेकर ,
खामोशियों में वो गुनगुनाती तो होगी I
खामोशियों में वो गुनगुनाती तो होगी I
मेरा नाम किताबों में लिख कर,
दांतों तले ऊँगली दबाती तो होगी I
उसकी भी नज़रें हमें खोजती होगी,
जब वो किसी महफ़िल में जाती होगी I
हर एक शाम मेरे नाम का वो
एक दीपक जलाती होगी I
एक लड़की मासूम सी मगर सुंदर सी,
ख्वाबों में मुझे देखकर शर्माती तो होगी II
डॉ . पंकज मिश्र
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