Sunday, November 18, 2012

ज़िन्दगी

उम्र भर की ज़िन्दगी उसने भी जी,मैंने भी जी,
साथ किसके तू रही ये तू बता ये ज़िन्दगी I
जब मेरे दिल में न थी जीने की कोई खुशी,
तब मेरे जीवन में भर दी हर खुशी ये ज़िन्दगी I
उम्र भर...................................................
हट गयी जब भी कभी इन होठों की ये सुर्खियाँ,
हर खुशी तुने ही मेरी छीन ली ये ज़िन्दगी I
जाना चाह दूर जब अपनी इन्ही तनहाइयों से,
तब मेरे दिल पर लगा दी ऐसी ठोकर ज़िन्दगी I
उम्र भर......................................................
चाह था मैंने जिसे मुझको तो मिल न सका,
पर मिली उसकी जगह पर ये ग़मों की ज़िन्दगी I
उम्र भर की ज़िन्दगी उसने भी जी,मैंने भी जी,
साथ किसके तू रही ये तू बता ये ज़िन्दगी I

-डॉ . पंकज मिश्रा 

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