Saturday, July 31, 2021

आकर मिलो तो


                     ✍️
ज़रा मैल मन का मिटाकर मिलो तो।
सुनो, सारे शिकवे भुलाकर मिलो तो।

दिल मे जो है, मुझको खुल कर बताओ
सच को लबों पर सजाकर मिलो तो।

अब तक खड़ा  तकता हूँ   तेरी राहें
तुम प्यार से मुझसे आकर मिलो तो।

सौंदर्य पर लिख दूँ मैं एक कविता
आँखों में काजल लगाकर मिलो तो।

क्यों चाँद पर है घिरी काली बदली
जुल्फों को रुख से हटाकर मिलो तो।

मिट जाएगा नफरतों का अंधेरा
चिरागे-मुहब्बत जलाकर मिलो तो।

भला सच को ऐसे छुपाते हो क्यों तुम!
सबको  हकीकत बताकर मिलो तो।

तुम दाग औरों  में  क्यों ढूँढते हो!
नजर आईने से मिलाकर, मिलो तो।

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