सिलसिला जख्म जख्म जारी है,
सिलसिला जख्म जख्म जारी है,
ये ज़मीं दूर तक हमारी है |
कूचे कुचे से नाता है मेरा,
ज़र्रे ज़र्रे से रिश्तेदारी है||
रेत के मकान ढह गये देखो,
बारिशों के खुलूष जारी है|
कोई गुज़ार के देखे दोस्तों,
जो ज़िन्दगी हमने गुजारी है||
डॉ.पंकज मिश्र
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