Thursday, June 6, 2013

ज़वानी

आई इधर बहारें जवानी उधर गयी,
बर्बाद करने आयी थी बर्बाद कर गयी  |
जब वो चले थे छोड़ने तो उनपर नज़र गयी,
पलटे तो एक क़यामत सी गुज़र गयी ||
जब था मेरा शबाब तो मुझको नही था होश,
जब होश आगया तो ज़वानी गुज़र गयी |
ये बेवजह झुकी नही कमर मेरी ए सनम,
झुक झुक के खोजता हूँ ज़वानी किधर गयी ||

                                      ड़ा. पंकज मिश्रा

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