आई इधर बहारें जवानी उधर गयी,
बर्बाद करने आयी थी बर्बाद कर गयी |
जब वो चले थे छोड़ने तो उनपर नज़र गयी,
पलटे तो एक क़यामत सी गुज़र गयी ||
जब था मेरा शबाब तो मुझको नही था होश,
जब होश आगया तो ज़वानी गुज़र गयी |
ये बेवजह झुकी नही कमर मेरी ए सनम,
झुक झुक के खोजता हूँ ज़वानी किधर गयी ||
ड़ा. पंकज मिश्रा
बर्बाद करने आयी थी बर्बाद कर गयी |
जब वो चले थे छोड़ने तो उनपर नज़र गयी,
पलटे तो एक क़यामत सी गुज़र गयी ||
जब था मेरा शबाब तो मुझको नही था होश,
जब होश आगया तो ज़वानी गुज़र गयी |
ये बेवजह झुकी नही कमर मेरी ए सनम,
झुक झुक के खोजता हूँ ज़वानी किधर गयी ||
ड़ा. पंकज मिश्रा
No comments:
Post a Comment