Saturday, October 27, 2012

हमने भी ज़माने के कई रंग देखे है

हमने भी ज़माने के कई रंग देखे है

कभी धूप, कभी छाव, कभी बारिशों के संग देखे है

जैसे जैसे मौसम बदला लोगों के बदलते रंग देखे है

ये उन दिनों की बात है जब हम मायूस हो जाया करते थे

और अपनी मायूसियत का गीत लोगों को सुनाया करते थे

और कभी कभार तो ज़ज्बात मैं आकर आँसू भी बहाया करते थे

और लोग अक्सर हमारे आसुओं को देखकर हमारी हँसी उड़ाया करते थे"

अचानक ज़िन्दगी ने एक नया मोड़ लियाऔर हमने अपनी परेशानियों को बताना ही छोड़ दिया"

अब तो दूसरों की जिंदगी मैं भी उम्मीद का बीज बो देते है

और खुद को कभी अगर रोना भी पड़े तो हंसते - हंसते रो देते है

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