आपकी वादा खिलाफी की कसम,
हर बहाना आपका अच्छा लगा.
वो नसीहत चुप मेरी सुनता रहा
आज मुझको एक बुरा अच्छा लगा.
कल मुझे देखा था उसने प्यार से,
आज मुझको आइना अच्छा लगा.
चम्पई रंगत गुलाबी हो गयी,
कोई गुस्से में बड़ा अच्छा लगा.
जैसे हाँथो में उतर आया हो चाँद,
वो दुआ करता हमें अच्छा लगा.
जिस अदा से उसने दीवाना कहा,
आज मुझको वो बहुत अच्छा लगा.
- डॉ.पंकज मिश्र
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