वो भूले बिसरे लम्हें याद आएंगे
धुँधला ही मगर मेरा चेहरा नज़र आएगा ll
हम अश्क नहीं जो पलकों से गिर जाएं
हवा के झोंके की तरह फिर पलट आएँगे ll
अश्क आँखों में लेकर बैठोगे कहीं
चेहरे पर वहीं मुस्कान बनकर बिखर जाएंगे ll
वक़्त बे वक़्त तन्हा होकर जाओगे कभी
तब भी तेरी परछइयों में नज़र आएँगे ll
अश्क मत बहाना ये अनमोल होते हैं
मोती हैं टूट कर बिखर जाएंगे ll
- डॉ. पंकज मिश्रा
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